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Antarang Vartalap Gita Vatika By Bhaj Ji | अन्तरंग-वार्तालाप

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Antarang Vartalap पुस्तक Bhai Ji (Gita Vatika, Gorakhpur) द्वारा रचित एक अनमोल आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसमें साधक और भगवान के मधुर, सूक्ष्म और अत्यन्त व्यक्तिगत संवादों का दिव्य रहस्य प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक उन भक्तों के लिए विशेष रूप से अमूल्य है जो अपने हृदय में भगवान का सजीव अनुभव करना चाहते हैं।

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Description

Antarang Vartalap – अन्तरंग-वार्तालाप

By Bhai Ji | Gita Vatika, Gorakhpur

Antarang Vartalap पुस्तक Bhai Ji (Gita Vatika, Gorakhpur) द्वारा रचित एक अनमोल आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसमें साधक और भगवान के मधुर, सूक्ष्म और अत्यन्त व्यक्तिगत संवादों का दिव्य रहस्य प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक उन भक्तों के लिए विशेष रूप से अमूल्य है जो अपने हृदय में भगवान का सजीव अनुभव करना चाहते हैं।


पुस्तक का मूल उद्देश्य

यह ग्रंथ साधक को यह समझाता है कि —
जब हृदय निर्मल होता है, जब प्रेम एकाग्र होता है, तब भगवान स्वयं साधक के हृदय में संवाद करते हैं।
इन्हीं अंतरंग अनुभूतियों को Bhai Ji ने अत्यंत सरल, मधुर और आत्मानुभूत शैली में लिखा है।


पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ

🔹 1. हृदय से हृदय का संवाद

यह पुस्तक भगवान और भक्त के बीच होने वाले उस आध्यात्मिक वार्तालाप का वर्णन है, जिसे कोई केवल अपने हृदय में महसूस कर सकता है— वाणी से नहीं, भाव से समझा जा सकता है।

🔹 2. साधना के गूढ़ रहस्य

भक्ति कैसे गहराती है?
राग-भक्ति का वास्तविक अर्थ क्या है?
मन भगवान से कैसे जुड़ता है?
इन सबका सहज मार्गदर्शन मिलता है।

🔹 3. सरल, हृदयस्पर्शी भाषा

Bhai Ji की वाणी अत्यंत सरल, प्रेमपूर्ण और सीधे हृदय को छू लेने वाली है। हर पंक्ति साधक को भीतर तक झकझोरती है।

🔹 4. रसिक-परम्परा की अनमोल धारा

इसमें वृन्दावन-भाव, माधुर्य-रस, सेवा-भाव और समर्पण की रसधारा बहती है, जिसे पढ़कर मन स्वयं ही राधा-कृष्ण की ओर खिंच जाता है।

🔹 5. साधक के लिए प्रेरणादायक ग्रंथ

यह पुस्तक केवल पढ़ने के लिए नहीं,
जीने के लिए है।
यह मन की शुद्धि, प्रेम की वृद्धि, और अन्तर्मुख साधना के लिए अद्भुत मार्गदर्शक है।


किसके लिए उपयुक्त?

  • भक्ति-मार्ग के साधक

  • राधा-कृष्ण रस-साधना के प्रेमी

  • ईश्वर से हृदयगत संवाद अनुभव करना चाहने वाले

  • मनोविज्ञान, आत्मानुभूति और आध्यात्मिक चेतना में रुचि रखने वाले

  • Gita Vatika, Vrindavan रस-परम्परा के भक्त


पुस्तक पढ़ने के लाभ

  • मन को गहराई से अंतर्मुख करना

  • भक्ति में स्थिरता और परिपक्वता लाना

  • भगवान के निकटता-भाव को अनुभव करना

  • जीवन में शांति, सहजता और आत्मिक प्रेम पैदा करना

  • साधना में आ रहे अवरोधों को समझना और दूर करना


प्रकाशन

  • लेखक: Bhai Ji (Gita Vatika, Gorakhpur)

  • ग्रंथ: अन्तरंग-वार्तालाप (Antarang Vartalap)

  • विषय: भक्ति, प्रेम, रस-तत्त्व, आध्यात्मिक वार्तालाप

  • उपलब्धता: Keli Kunj Vrindavan / आध्यात्मिक साहित्य अनुभाग


संक्षिप्त सार

Antarang Vartalap” भगवान और भक्त के प्रेम का जीवंत अनुभव है। यह केवल पुस्तक नहीं—
एक आध्यात्मिक यात्रा, एक भाव-साधना, एक हृदय की गूढ़ पुकार है।

जो भी साधक इसे पढ़ता है, उसके भीतर भगवान की उपस्थिति का अनुभव और भी सजीव हो जाता है।

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